आज प्रतिदिन जब लोगों की प्रतिक्रियाओं पर नजर दोड़ाता हूँ तो लगता है क्या अभी भी एक भारतवासी को भारतीय होने का अभिमान नहीं है आज भी वह अन्य प्रलोभनों, सत्ता के चाटुकारों , सत्ता के भूखे राजनीतिज्ञों के हाथ की कठपुतली बना बैठा है | हमारा संविधान सबसे लचीला और सबसे ज्यादा आहत संविधान है , जनता के द्वारा गलत उपयोग , जनता के रखवालों द्वारा गलत उपयोग और इतनी गलतियाँ करने के बाद भी हम समझदार और हमारा देश बेकार।
क्या कोई सोचता है हमने क्या दिया इस देश को ? हम राजनीति के यज्ञ मे अपनी आहुति तो देते हैं पर ना जाने कितनी बार कोई गलत व्यक्ति या पार्टी का चयन कर बैठते हैं। तत्कालीन वर्षों मे ऐसा होता रहा और निरंकुश सरकारें और उसके नुमाइंदे इस देश को उसी के हाल पर छोड़कर अपनी रोटी सेकते रहे आज भी पीचले दो दशकों से यही हो रहा है| क्यों हम सवाल नहीं पूछते? क्यों नहीं पूछते की ऑक्सिजेन क्यों नहीं मिल रही? अभी भी पलंग की व्यवस्था क्यों नहीं हो सकी ? ventilator बनाने वाली कॉम्पनी आज तक सही समान क्यों नहीं दे सकी?
सरकार कोई भी हो, कोई भी हो राजा सवाल तो जनता को पूछना पड़ेगा और अगर नहीं पूछती सवाल तो तैयार रहना होगा सहने के लिए ऐसे ही मन की बात सुनते हुए अपनी आंखे बंद कर अपने ऊपर हो रहे अन्याय को | राष्ट्र का राजा राष्ट्र का जिम्मेवार होता है, प्रजा उससे भी ज्यादा। हर देशवासी इस कोविड काल मे अपनी ईमानदारी का परिचय दे दे तो ही सारी समस्याओ का हाल मिल जाएगा| छोड़ो कालाबाज़ारी , बेईमानी और देशद्रोह कुछ दिन कम कमा लो पर मरते बिलखते लोगों के साथ अन्याय मत होने दो बिल्कुल भी मत होने दो|